जम्मू कश्मीर में लगभग एक साल हो गया है जब पाँच अगस्त 2019 को भयानक बदलाव किए गए। मुझे अभी भी यह विश्वास नहीं हो रहा है जो मैंने उस सुबह टेलीविजन चैनल पर अपनी आँखों से देखा था। कुछ घंटे पहले ही आधी रात को मुझे नज़रबंद कर दिया गया था और दिन बीतते-बीतते सरकारी गेस्टहाउस में शिफ़्ट किया जाना था। केंद्र सरकार के मनोनीत प्रतिनिधियों ने वो सारे अधिकार हथिया लिए जो विधानसभा और चुनी हुई लोकप्रिय सरकारों में निहित थे। और इस तरह से शेष भारत से जम्मू कश्मीर के संवैधानिक रिश्ते को नए सिरे से लिख दिया गया। देश की संसद में 70 साल से ज़्यादा के इतिहास को लोकसभा और राज्यसभा ने एक दिन से भी कम समय में बदल दिया और साथ ही जम्मू कश्मीर के लोगों से किए गए संप्रभु वायदे को भी तोड़ दिया गया और प्रदेश के टुकड़े कर दिए गए।