कुछ साल पहले मैंने देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के एक सेवानिवृत्त बड़े अधिकारी से पूछा कि आपके राज्य में लाखों सरकारी पद खाली पड़े हैं, आप लोगों ने उन्हें भरने का प्रयास क्यों नहीं किया? उनका जवाब था, अगर हमने ये सारे पद भर दिये तो राज्य का कुछ ही वर्षों में दीवाला निकल जायेगा। विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि छठे और सातवें वेतन आयोग ने सरकारी कर्मियों की तनख्वाहें और पेंशन इतनी बढ़ा दी हैं कि सरकार का बजट तक डगमगा गया है। उनका कहना था कि जब एक चतुर्थ वर्गीय कर्मी की तनख्वाह प्राइवेट कंपनी में काम कर रहे एक मैनेजर के बराबर हो तो ऐसे में सरकारें जो बिना किसी प्रॉफिट के चलती हैं, कहां से इतना धन लायेंगी?