भारत में क़ानून पढ़ाने वाले ही आरक्षण के क़ानून का पालन नहीं कर रहे हैं। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की सुनवाई में यह बात सामने आई है कि नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज (एनएलयू)/स्कूलों में आरक्षण के संवैधानिक प्रावधानों व सरकारी आदेशों (जीओ) की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं और एलएलबी व एलएलएम के प्रवेश में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण नहीं दिया जा रहा है।
देश को क़ानून पढ़ाने वाले विश्वविद्यालय ही उड़ा रहे आरक्षण के क़ानून की धज्जियाँ
- विचार
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- 23 Jun, 2020

लॉ स्कूलों और एनएलयू में ओबीसी आरक्षण को यह कहकर लागू नहीं किया जा रहा है कि एनएलयू गवर्निंग काउंसिल के नियमों से चलता है।
सबसे दिलचस्प यह है कि देश के युवाओं को क़ानून पढ़ाने वाले कुलपतियों के बयान भी अजीब-अजीब आए। आयोग के सामने कुलपतियों ने कहा कि वह विश्वविद्यालय गवर्निंग काउंसिल के नियमों, अधिनियमों और क़ानूनों के मुताबिक़ विश्वविद्यालय चला रहे हैं और उन पर कोई अन्य क़ानून लागू नहीं होता है। यानी विश्वविद्यालय चलाने के लिए उनकी गवर्निंग काउंसिल ने जो नियम बना दिया, उसी के मुताबिक़ विश्वविद्यालय चलाएँगे और भारत के संविधान में दिए गए प्रावधानों या केंद्र व राज्य सरकारों के आदेशों का उनके ऊपर कोई असर नहीं पड़ेगा!