जाति जनगणना की माँग बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। नीतीश इसके ज़रिए अति पिछड़ों और अति दलितों को फिर से अपनों खेमे में लाने का दाँव चल रहे हैं। नीतीश ने इस सदी की शुरुआत में अपनी राजनीति को अति पिछड़ों और अति दलितों पर केंद्रित करना शुरू कर दिया था। इसी के बूते लालू यादव को पछाड़ कर 2010 में मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुँचे लेकिन विधानसभा के पिछले चुनाव में उनका यह आधार दरकता हुआ नज़र आया। नतीजे के तौर पर उनकी पार्टी बीजेपी से भी पीछे खिसक कर तीसरे पायदान पर पहुँच गयी। नीतीश के पाला बदल कर आरजेडी के साथ जाने से डरी हुई बीजेपी ने उन्हें मुख्यमंत्री तो बना दिया लेकिन इस बार वो काफ़ी दबाव में दिखाई दे रहे हैं।

ब्राह्मण के समर्थन से कांग्रेस ने क़रीब 60 सालों तक देश पर राज किया। अब वो बीजेपी के साथ हैं तो बीजेपी का ज़ोर बढ़ता जा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री वी पी सिंह का उदाहरण साफ़ है। जिन सवर्ण जातियों ने उन्हें प्रधानमंत्री के पद तक पहुँचाया था उन्होंने ही पिछड़ों को आरक्षण दिए जाने के बाद उन्हें राजनीति के हासिये पर पहुँचा दिया।
शैलेश कुमार न्यूज़ नेशन के सीईओ एवं प्रधान संपादक रह चुके हैं। उससे पहले उन्होंने देश के पहले चौबीस घंटा न्यूज़ चैनल - ज़ी न्यूज़ - के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीवी टुडे में एग्ज़िक्युटिव प्रड्यूसर के तौर पर उन्होंने आजतक