नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने की ख़बर पर नज़र पड़ी। अब यह पीएम म्यूजियम कहलाएगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन अंबेडकर जयंती के दिन करेंगे। नाम बदलना और अंबेडकर की छाया को आगे करके प्रतीकवाद की लड़ाई को नये स्तर तक ले जाना। यकीनन मोदी के समर्थकों को इससे एक अलग तरह का किक मिलेगा।
सेल्समैन नहीं समझ पाएंगे स्टेट्समैन नेहरू को
- विचार
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- 1 Apr, 2022

साल 2014 के बाद से ही नेहरू के नाम को सभी जगहों से मिटाने की कोशिश की जा रही है। इतिहास में इसे लेकर प्रतिक्रिया जरूर होगी लेकिन सवाल यह है कि मौजूदा निजाम को नेहरू से इतनी परेशानी क्यों है?
नेहरू मेमोरियल यानी एक ऐसे व्यक्ति की स्मृतियों का केंद्र जिसने शुरुआती 17 साल तक भारत का नेतृत्व किया। नेहरू ने तमाम लोकतांत्रिक संस्थाओं की नींव डाली और उन्हें मजबूत किया। आधुनिक शिक्षा से जुड़ी अनगिनत ऐसी संस्थाएं बनाईं जिन्होंने वैज्ञानिक दृष्टि बोध से लैस कई पीढ़ियां तैयार कीं।
राकेश कायस्थ युवा व्यंग्यकार हैं। उनका व्यंग्य संग्रह 'कोस-कोस शब्दकोश' बहुत चर्चित रहा। वह 'प्रजातंत्र के पकौड़े' नाम से एक व्यंग्य उपन्यास भी लिख चुके हैं।