गॉल्फ़ कैसे खेला जाता है- इस पर कभी मैंने ध्यान नहीं दिया। बस यह खयाल रहा कि यह अमीरों का शौक है जो सुरम्य घास से सजे एक ख़ास गॉल्फ़ कोर्स में खेला जाता है। लेकिन शुक्रवार देर रात सोने के बावजूद शनिवार की सुबह जल्दी उठ कर मैं ओलंपिक में लड़कियों की गॉल्फ़ प्रतिस्पर्द्धा देखता रहा। बस इसलिए कि इस प्रतिस्पर्द्धा में भारत की एक प्रतियोगी अदिति अशोक भी शामिल थीं।
नीरज चोपड़ा का भाला और मेरा भारत
- विचार
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- 8 Aug, 2021

नीरज चोपड़ा का भाला फेंकना हालाँकि जैसे किसी चरम की तरह आया। वह लहराता हुआ भाला 87 मीटर की दूरी ही तय करने वाला नहीं था, वह हमारी तरह के लोगों के लिए न जाने कितने दशकों की प्रतीक्षा के पार जाकर गिरने वाला भाला था।
वह गॉल्फ़ रैंकिंग में 200वें नंबर पर हैं और ओलंपिक में 45वें नंबर पर रह कर चुनी गई थीं, लेकिन इसके बावजूद वह पदक जीतने की दावेदार थीं और अंततः कई घंटों चले मुक़ाबले के बाद चौथे नंबर पर रहीं। गॉल्फ़ के जानकारों ने बताया कि उसके और पदक के बीच जैसे सूत भर का अंतर रह गया।
इसके पहले मैं मुक्केबाज़ी और कुश्ती के वे मुक़ाबले भी देखता रहा जो खेलों के तौर पर मुझे नहीं भाते। मीराबाई चानू का भारोत्तोलन देखा, लवलीना और मैरीकॉम के मुक़ाबले देखे, रवि दहिया, दीपक पुनिया और बजरंग पुनिया के मैच देखे। जाहिर है, बैडमिंटन और हॉकी तो देखने ही थे, भले फिर इनके लिए सुबह की नींद कुछ ख़राब करनी पड़ी।