महाराष्ट्र में सांसद नवनीत राणा और विधायक रवि राणा पर हाल ही में दर्ज हुए राजद्रोह के मामले ने देश को चौंका दिया। दोनों पति-पत्नी हैं। इन्होंने मुख्यमंत्री ठाकरे परिवार के आवास मातोश्री के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ने का सार्वजनिक संकल्प लिया था और ऐसा मसजिदों से लाउडस्पीकर हटाने की खुली मांग के बदले में किया गया। हनुमान चालीसा तो पढ़ा नहीं जा सका, लेकिन इस बीच इतनी घटनाएं घट गयीं और घटती जा रही हैं कि यह मामला क़ानूनी, सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक महत्व का बन चुका है।
‘राजद्रोह’ को विदा करने का समय
- विचार
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- 5 May, 2022

राजद्रोह के क़ानून का लगातार दुरुपयोग होने की बात उठती रही है। क्या इस क़ानून को अभी भी बनाए रखने का कोई औचित्य है?
बीजेपी सवाल उठा रही है कि हनुमान चालीसा पढ़ना क्या इतना बड़ा गुनाह है कि राजद्रोह का मुक़दमा लग जाएगा? मगर, बीजेपी का सवाल ग़लत है। ग़लत इसलिए कि हनुमान चालीसा वास्तव में पढ़ा ही नहीं गया। ऐसे में ‘हनुमान चालीसा पढ़ने पर राजद्रोह लगाने’ की बात तथ्यात्मक रूप से सही कैसे हो सकती है? जाहिर है बीजेपी का मक़सद इस मुद्दे को धार्मिक और राजनीतिक रूप से उद्धव सरकार के प्रतिकूल और अपने मंसूबे के अनुकूल बनाना है।