भारत देश की जलवायु, भूमि और भौतिक सम्पदा से आकर्षित हो कर बहुत सारे आक्रमणकारी, व्यापारी और पर्यटक यहाँ आए। कुछ ने सिर्फ व्यापार तक ही खुद को सीमित रखा, कुछ लूट पाट करके वापस हो गए, कुछ ने व्यापार के साथ अपना राजनैतिक स्वार्थ भी सिद्ध किया, कुछ ने सिर्फ थोड़े समय के लिए निवास किया, कुछ ने इसे ही अपना स्थायी निवास बना लिया। इन्हीं में कुछ मध्य एशिया की जातियाँ जैसे तुर्क, तातारी, उज्बेकी, मंगोल (मुग़ल) इत्यादि भी आये और अपनी सत्ता स्थापित की।
क्या है मुस्लिम तुष्टिकरण का असली सच? एक विचारोत्तेजक पड़ताल
- विचार
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- 16 Jul, 2021

सरकारें बदलती रहीं, पार्टियाँ आती जाती रहीं लेकिन मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति नहीं बदली। मुस्लिम तुष्टिकरण के विरोध की राजनीति करने वाली पार्टी में भी अशराफ वर्ग अपनी पैठ बनाये हुए है।
ये जातियाँ भारत में आने से पहले ही मुस्लिम धर्म को अंगीकार कर चुकी थीं, लिहाजा इन नव-मुस्लिम आक्रांताओं के सामने इस्लामी दुनिया में स्वयं को स्थापित करने की चुनौती थी। अपनी सत्ता की मान्यता और मज़बूती के लिए स्वयं को खलीफा के मातहत घोषित कर सत्ता का इस्लामीकरण/अशराफीकरण किया। यह बस दिखावे भर का ही इस्लामीकरण था, जहाँ खलीफा का नियंत्रण नाम मात्र का ही था और सत्ता की कार्य-प्रणाली पूरी तरह से राजतंत्रात्मक और सामंतवादी थी।
एक लंबे समय तक इसी प्रकार शासन चलते रहे। जहाँ एक के बाद दूसरा वर्ग ग़ुलाम वंश, खिलजी वंश, तुगलक वंश, सैयद वंश, लोदी वंश एवं मुग़ल वंश (मुगल स्वायत शासक थे, केंद्रीय खिलाफत के अधीन नहीं थे) आदि नामों से शासन करता रहा।