नाम बदलने की राजनीति और रिवायत नई नहीं है। दुनिया भर में मुल्कों, शहरों, सड़कों, चौराहों और इमारतों के नाम बदले जाते रहे हैं। भारत में ही पिछले कुछ वर्षों में बंबई, मद्रास, कलकत्ता- मुंबई, चेन्नई और कोलकाता हो गए। हमने ब्रिटिशकालीन दौर में दिए गए कई नाम बदले हैं। मुग़ल गार्डन भी वस्तुतः ब्रिटिशकालीन नाम ही है जिसे बाग़ की मुग़लिया शैली की वजह से यह नाम दिया गया।
इस अमृत उद्यान में कौन दाखिल हो सकता है?
- विचार
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- 31 Jan, 2023

मुग़ल गार्डन का नाम बदलकर अमृत गार्डन क्यों किया गया? क्या इससे उस उद्यान की मुग़लिया शैली बदल गई? आख़िर नाम बदलने से क्या-क्या बदल सकता है?
लेकिन नामों को बदलने का एक तर्क होता है, उसके पीछे राजनीतिक और सांस्कृतिक नीयत होती है। बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार जब नाम बदलने की राजनीति करती है तो उसकी भी एक नीयत दिखाई पड़ती है जो चिंताजनक है। वह मूलतः दो तर्कों का हवाला देती है- एक तर्क यह होता है कि गुलामी की स्मृति से मुक्ति पाने की ज़रूरत है और दूसरा तर्क यह होता है कि भारत का जो स्वर्णिम अतीत है, उसकी विरासत को जीवित रखा जाना ज़रूरी है।