अजान से नींद में खलल पड़ने या इससे शोर होने की शिकायत जिस अंदाज में हाल के दिनों में सामने आयी है, उससे यह सवाल उठना लाजिमी है कि समस्या लाउडस्पीकर है या इसके बहाने अजान को निशाने पर लिया जा रहा है।

आज अजान है, लेकिन मुसलमानों की सांस्कृतिक पहचान को इस तरह विवादस्पद बनाने का अभियान पहले भी चला है और आगे भी इसकी आशंका है। ऐसे में जरूरी है कि एक-दूसरे समाज की उन बातों को समझा जाए जो सार्वजनिक तो होते हैं, लेकिन सर्वनिष्ठ नहीं यानी दोनों में से एक को उससे कुछ खास लेना-देना नहीं होता।
कुछ मोटी-मोटी बातें हैं। पहली बात तो यह कि लाउडस्पीकर के लिए अनुमति लेने का नियम है, लेकिन प्रशासन का ध्यान नहीं रहता है। इसलिए यह बिना अनुमति के और नियमों को ताक पर रखकर बजाया जाता है।
इसके लिए रात दस बजे से सुबह छह बजे तक प्रतिबंध का नियम सुप्रीम कोर्ट की ओर से है। दस बजे रात के बाद विशेष अवसरों के लिए बारह बजे रात तक लाउडस्पीकर के इस्तेमाल की अनुमति दी जा सकती है, वह भी पंद्रह दिनों से अधिक के लिए नहीं और रात बारह बजे के बाद से सुबह छह बजे तक नहीं।