यह दिलचस्प है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत से मिलकर आने वाले पाँच चर्चित मुसलमान लोग खुद से सफाई दे रहे हैं कि संघ प्रमुख से मिलने का समय उन्होंने लिया था। भागवत अपने कई प्रमुख सहयोगियों के साथ मिले थे और ऐसी मुलाकात एक महत्वपूर्ण घटना है। इसमें किसी किस्म के अपराधबोध के आने का मतलब उसके महत्व को कम करना ही है। और जो बातें जामिया के कुलपति और आईएएस रहे नजीब जंग और पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी साहब के हवाले से आ रही हैं वे और भी हल्की हैं। सिर्फ गाय की कुर्बानी और जेहादी या काफिर न कहे जाने वाले दिखावटी मुद्दों पर सहमति का कोई मतलब नहीं है और ना इतनी ही बात करने की जरूरत थी।
भागवत क्यों मुसलमानों से दोस्ती की बात कर रहे हैं?
- विचार
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- 28 Sep, 2022

संघ प्रमुख मोहन भागवत आख़िर चर्चित मुसलिम शख्सियतों से क्यों मिल रहे हैं? क्या यह पसमांदा मुसलमानों का समर्थन जुटाने का अभियान है?
कुरैशी का इंडियन एक्सप्रेस में लिखा लेख भी यही सब कहता है। जैसा उन्होंने लिखा है कि उन लोगों को अपने इस कदम के लिए काफी मुसलमानों और कुछ हिंदुओं से वाहवाही मिल रही है तो काफी मुसलमानों से गालियां। वे यह भी सवाल उठा रहे हैं कि आपको मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करने के लिए किसने चुना।