आम चुनाव के अधबीच में भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने कहा कि भाजपा अब पहले से अधिक समर्थ हो गयी है और चुनाव लड़ने के लिए उसे आरएसएस के साथ की ज़रूरत नहीं है। यह सर्वज्ञात है कि अब तक के लगभग सभी चुनावों में आरएसएस के बाल-बच्चों और खुद आरएसएस ने भी भाजपा की जीत के लिए काम किया। इस चुनाव में भाजपा के कमज़ोर प्रदर्शन के बाद आरएसएस के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने चुनाव के दौरान विभिन्न पार्टियों के आचरण पर टिप्पणी की। यद्यपि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिए तथापि यह साफ़ था कि उनका इशारा मोदी और भाजपा की ओर है। इसके अलावा, आरएसएस के एक अन्य शीर्ष पदाधिकारी इन्द्रेश कुमार ने भी कहा कि अहंकार के कारण भाजपा की सीटों में कमी आई है। आरएसएस ने तुरंत इस बयान से अपने-आप को दूर कर लिया। फिर इन्द्रेश कुमार ने भी अपना वक्तव्य वापस ले लिया और यह प्रमाणीकृत किया कि भारत केवल मोदी के नेतृत्व में विकास कर सकता है। कई टिप्पणीकारों का कहना है कि भागवत का बयान, संघ और आरएसएस के बीच मनमुटाव और दरार का सूचक है।