प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब हाल ही में पंजाब की एक रैली में नहीं जा पाए क्योंकि रास्ते में कुछ किसान उनका रास्ता रोके हुए थे तो उन्होंने जाते समय पंजाब सरकार के अधिकारियों से व्यंग्य में कहा, 'अपने सीएम को धन्यवाद कहना कि मैं भटिंडा एयरपोर्ट तक ज़िंदा लौट पाया।'
क्या मोदी एक डरे हुए प्रधानमंत्री हैं?
- विचार
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- 10 Jan, 2022

अतीत में इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी और बेअंत सिंह जैसे तमाम बड़े नेताओं पर हमले हो चुके हैं। ऐसे में काफिला रूकने के बाद शायद प्रधानमंत्री को डर लगा हो। लेकिन उस डर को सार्वजनिक करके उन्होंने अपनी ही छवि को कमज़ोर करने का काम किया है।
इस बयान पर दोनों तरह की प्रतिक्रियाएँ हुई हैं। बीजेपी और मोदी समर्थकों ने इस बयान को तूल देते हुए यह दर्शाने की कोशिश की कि प्रधानमंत्री की जान को वाक़ई बड़ा ख़तरा था। उधर मोदी विरोधियों ने पीएम के बयान का ख़ूब मज़ाक़ बनाया कि एक नेता जो ख़ुद को शेर ज़ाहिर करता है, वह इतने कड़े सुरक्षा घेरे के बीच भी ख़ुद को असुरक्षित महसूस करता है।
हमें नहीं मालूम कि प्रधानमंत्री ने यह बयान राजनीतिक कारणों और विक्टिम कार्ड खेलने के लिए दिया था या वे वास्तव में डर गए थे? क्या उनके बयान से हम यह मानें कि उन्हें वास्तव में लगा था कि उनकी जान को ख़तरा है? वह भी इतने ज़बरदस्त सुरक्षा घेरे में? अगर ऐसा है तो यह उनके बारे में व्याप्त इस धारणा को पुख़्ता करता है कि बाहर से बहादुर दिखने के बावजूद मोदी अंदर से एक डरे हुए इंसान हैं।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश