संसद में वैसे शब्दों की सूची जारी हुई है जो असंसदीय कहलाएंगे। ऐसा विधायिका की ‘गरिमा को बचाने’ के लिए किया जा रहा बताया गया है। पहले से भी यह सूची है और इस सूची में कुछ शब्द और शुमार हो जाएंगे तो यह कोई गैरपारंपरिक एलान नहीं है। फिर भी, यह मुद्दा विमर्श में इसलिए आ गया है क्योंकि ऐसे-ऐसे शब्दों को चुना गया है जिनके ज़रिए वर्तमान सरकार पर विपक्ष लगातार हमला करता रहा है।
‘तानाशाही’ शब्द बोलना लोकतंत्र में क्यों मना हो?
- विचार
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- 14 Jul, 2022

मोदी सरकार ने जिन शब्दों को संसद में असंसदीय क़रार दिया है, क्या उन शब्दों में कुछ भी आपत्तिजनक है या फिर उन शब्दों से कोई डर है? क्या हो जब इन शब्दों के बदले दूसरे शब्द इस्तेमाल किए जाने लगें?
सवाल यह है कि सत्ता के ख़िलाफ़ प्रयुक्त होने वाले शब्दों को प्रतिबंधित क्यों किया जा रहा है? खासकर इनमें ऐसे शब्दों को गिनाया जा सकता है जो न अश्लील हैं और न ही अमर्यादित, फिर भी वो असंसदीय घोषित कर दिए गये हैं तो क्यों?