प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रणनीति के तहत एक लुभावने नारे की असफलता के बाद दूसरा लुभावन नारे दे देते हैं और पहले नारे को भूल जाते हैं। इसका नतीजा दस साल बाद अब झेलना पड़ा है जब महंगाई मोदी की लगातार असफलताओं की चुगली खाते हुए आसमानी हो गयी और जनता ने इस नेता को नकारना शुरू कर दिया। सीआईआई की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार देश में किसानों के अथक श्रम और व्यय से पैदा होने वाले 35 करोड़ टन फल व सब्जियों का 35 प्रतिशत बर्बाद हो जाता है। क्या कोई किसान समाज ऐसी निकम्मी सरकार को माफ़ कर सकता है?