प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रणनीति के तहत एक लुभावने नारे की असफलता के बाद दूसरा लुभावन नारे दे देते हैं और पहले नारे को भूल जाते हैं। इसका नतीजा दस साल बाद अब झेलना पड़ा है जब महंगाई मोदी की लगातार असफलताओं की चुगली खाते हुए आसमानी हो गयी और जनता ने इस नेता को नकारना शुरू कर दिया। सीआईआई की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार देश में किसानों के अथक श्रम और व्यय से पैदा होने वाले 35 करोड़ टन फल व सब्जियों का 35 प्रतिशत बर्बाद हो जाता है। क्या कोई किसान समाज ऐसी निकम्मी सरकार को माफ़ कर सकता है?
महंगाई: क्यों ‘टॉप’ से ‘टोटल’ तक फेल रहे मोदी?
- विचार
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- 13 Jul, 2024

अगर भाषणों में “अन्नदाता” या “मेरे किसान भाई” कहने से ही या हर किसान परिवार को 17 रुपये रोज दे कर “सम्मान” करने से ही काम चलता हो तो वास्तविक विकास कैसे होगा।
याद करिए सन 2016 में यूपी चुनाव के चंद महीने पहले बरेली में पीएम मोदी की जनसभा जिसमें किसानों की आय दूनी करने का वादा किया था। ताज़ा आँकड़े बताते हैं कि किसानों की वास्तविक आय (महंगाई-एडजस्ट करने के बाद) घट गयी है। फिर आया 2019 का आमचुनाव। मोदी जी ने कुछ माह पहले यानी वर्ष 2018 में फिर लॉन्च की एक और कर्णप्रिय नारे वाली ‘टॉप’ स्कीम। रोजमर्रा की सबसे बड़ी ज़रूरत वाली तीन सब्जियां हैं– आलू, प्याज और टमाटर। इनकी महंगाई से आज देश कराह रहा है। इनके अंग्रेज़ी नामों के प्रथम अक्षर को जोड़ क ‘टॉप’ योजना का नामकरण हुआ था। उद्देश्य था इनके रखरखाव के लिए देशव्यापी कोल्ड चेन और विपणन के लिए मंडियों का एकीकरण ताकि किसान मजबूरी में औनेपौने न बेंचे। कालान्तर में इस स्कीम को विस्तार दे कर ‘टोटल’ नाम दिया गया था और 22 और आइटम्स इनमें जोड़े गए। नयी स्कीम तो पुरानी से भी लुभावनी थी। लेकिन आज दस वर्षों में भी कोल्ड स्टोरेज की क्षमता 350 लाख टन से मात्र 11 प्रतिशत बढ़ कर 394 लाख टन हुई है जो कुल 35 करोड़ टन के उत्पादन का 12 प्रतिशत है।