अभी बारिश की पहली फुहार भी नहीं पड़ी थी कि करोड़ों की लागत से बना अयोध्या के नवनिर्मित रामपथ के धँसने की तस्वीरें आने लगीं और किनारे-किनारे जलभराव होने लगा है। पहले तो सरकार, मंदिर प्रबंधन और तमाम संगठन डिनायल मोड में रहे लेकिन जब आसपास के लोगों, खासकर दुकानदारों में, जिनके यहाँ सड़क का पानी जाने लगा, रोष देखा तो सरकार ने छह इंजीनियर्स को निलंबित कर दिया। इस तत्काल कार्रवाई का कारण था हाल के चुनाव परिणामों में यूपी में भाजपा का खराब परफॉरमेंस और उसमें भी राममंदिर के बावजूद इस क्षेत्र से हार। पुनर्विकसित अयोध्याधाम रेलवे स्टेशन की चहारदीवारी भी ढह गयी है। करोड़ों की लागत से बने मंदिर में पीएम ने रामलला विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा करते हुए कहा था “यह भारतीय समाज की परिपक्वता दिखाता है… यह राम के रूप में राष्ट्र चेतना का मंदिर है”।
अयोध्या को तो भ्रष्टाचार-मुक्त करें
- विचार
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- 30 Jul, 2024

कानून और उन्हें लागू कराने वाली संस्थाएं अगर कमजोर हों तो सिस्टम भ्रष्ट ही नहीं रहता बल्कि निडर भी हो जाता है। वरना पीएम जिस सड़क का उद्घाटन करें क्या वह छह माह में धंस सकती है?
अगर राष्ट्र चेतना का असली स्वरूप जनता के करोड़ों रुपये की लागत से बनी सड़कों और रेलवे की दीवारों के छह माह में दरकने से या पिछले दो वर्षों में बिहार में करोड़ों रुपये की लागत से बने दर्जनों पुल के ठीक उद्घाटन के एक दिन पूर्व ढहने से पता चलने लगे तो चिंता की बात है। ऐसी विकृत राष्ट्र चेतना के साथ कोई राष्ट्र एक दशक भी नहीं चल सकता जबकि यह देश सदियों से ऐसी ही राष्ट्र-चेतना के भ्रष्ट चरित्र के साथ कराह रहा है।