केंद्र सरकार ने दिल्ली के विधानसभा चुनाव को प्रभावित करने का एक रास्ता तलाश लिया है।

दिल्ली चुनाव के लिए तारीख़ें घोषित कर दी गई हैं और चुनाव आचार संहिता लागू है तो मतदाताओं को कैसे प्रभावित किया जा सकता है? जानिए, सरकार ने इसकी तोड़ कैसे निकाल ली।
जनवरी के पहले सप्ताह में जब चुनाव की तारीख़ों का ऐलान हुआ था तो चुनाव आयोग ने यह बात साफ़ तौर पर कह दी थी कि अगले सालना केंद्रीय बजट में दिल्ली के लिए किए जाने वाले प्रावधानों की घोषणा नहीं की जा सकेगी। आम बजट 31 जनवरी को संसद में पेश होना है, जबकि दिल्ली में मतदान पाँच फरवरी को होगा। जाहिर है कि आम बजट में दिल्ली के लिए लोक-लुभावन योजनाओं की घोषणा करके विधानसभा के लिए होने वाले मतदान को प्रभावित किया जा सकता है। चुनाव आयोग ने यह बात तारीख़ों के ऐलान के साथ किए जाने वाले सतर्कता के पारंपरिक प्रावधानों के तहत कही थी।
लेकिन 16 जनवरी को नरेंद्र मोदी सरकार ने बता दिया कि उसके पास दिल्ली के मतदान को प्रभावित करने के कुछ और तरीक़े भी हैं। इस दिन केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा करके जो दाँव खेला उसकी काट विपक्षी दलों और चुनाव आयोग किसी के भी पास नहीं है।