मणिपुर का वीडियो हमारे भीतर एक भयावह सिहरन पैदा करता है। वह दिमाग को सुन्न कर डालता है, रक्त को रगों में कहीं जमा डालता है। ऐसा क्यों होता है? क्योंकि हम इस वीडियो में अन्याय और अपमान की भयावह अमानुषिकता को बिल्कुल नंगी आंख से देख पाते हैं। लेकिन मणिपुर ने ऐसे दृश्य पहले भी देखे हैं। कई बरस पहले इसी तरह की अमानुषिकता ने मणिपुर की महिलाओं को निर्वस्त्र होकर प्रदर्शन करने को बाध्य किया था।
बिलकीस और मणिपुर के गुनहगारों में ज़्यादा अंतर नहीं है?
- विचार
- |
- |
- 21 Jul, 2023

मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने वाले वीडियो ने पूरे देश को झकझोर दिया है। आख़िर हर मामले में महिलाएँ निशाना क्यों बनाई जाती हैं? क्या बिलकीस बानो और मणिपुर मामले में कोई ख़ास फर्क है?
इस बार भी हमें नहीं पता कि महिलाओं से बर्बरता की यह इकलौती घटना थी या और भी बहुत सारी महिलाएँ ऐसे ख़ौफनाक उत्पीड़न की शिकार हुईं। लेकिन यह संदेह बेजा नहीं है कि हमारी और भी नागरिकों को ऐसा कुछ भुगतना पड़ा होगा। दंगे, युद्ध या किसी तरह के संघर्ष में महिलाओं का इस तरह शिकार होना अब लगभग एक आम ऐतिहासिक परिघटना बन चुका है जिसके साक्ष्य बहुत सारे हैं।
वह सब हमें नहीं चुभता क्योंकि वह हमारी आँखों के सामने घटा नहीं होता है या उसकी बिल्कुल वास्तविक तस्वीर हमने देखी नहीं होती है।
लेकिन इस तरह का अन्याय तो चारों तरफ पसरा हुआ है और न्याय की मशीनरी कई बार उसका संरक्षण करती दिखाई पड़ती है।