हिंदुस्तान टाइम्स में आई एक रिपोर्ट के अनुसार तृणमूल कांग्रेस को यह अंदरूनी जानकारी मिली है कि इन चुनावों में लेफ़्ट समर्थकों का एक अच्छा-ख़ासा हिस्सा बीजेपी के पक्ष में वोट कर चुका है और कर रहा है। यह अच्छा-ख़ासा हिस्सा कितना है, इसी पर निर्भर करता है कि बीजेपी बंगाल में कितनी सीटें लाएगी। यदि 5-10% हुआ तो बहुत अंतर नहीं पड़ेगा क्योंकि बीजेपी और तृणमूल के पिछले वोट शेयर में 23% का गैप है। लेकिन यदि एक-तिहाई लेफ़्ट वोटर ने इस बार बीजीपी को वोट डाला हो तो बीजेपी का वोट शेयर 17 से बढ़कर कम-से-कम 27% हो जा सकता है और उसकी सीटें 10 से ज़्यादा हो सकती हैं।
मुक़ाबला बीजेपी से, वाम मोर्चे से क्यों घबरा रही हैं ममता?
- विचार
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- 17 May, 2019

बंगाल में बीजेपी के पक्ष में जो उभार क दिख रहा है, उसका एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है - हिंदुत्व का उभार और मुसलिम-विरोधी दुष्प्रचार। बीजेपी लोगों में यह भावना पैदा करने में सफल हो गई है कि राज्य सरकार मुसलमानों के साथ पक्षपात करती है और हिंदुओं के साथ भेदभाव। बंगाल में ऐसी सांप्रदायिक सोच रखने वाले कितने हैं, यह दिल्ली में बैठकर नहीं कहा जा सकता।
लेकिन यह पहली बार नहीं होगा कि लेफ़्ट का वोटर बीजेपी को वोट कर रहा है। अगर हम पिछले 20 सालों का रिकॉर्ड देखें तो हमें पता चलेगा कि लेफ़्ट का वोटर पिछले दस सालों में तृणमूल की तरफ़ भी खिसका है और बीजेपी की तरफ़ भी मुड़ा है। कब मुड़ा है और क्यों मुड़ा है, यह समझने के लिए हमें नीचे के चार्ट की मदद से सभी पार्टियों के उत्थान और पतन का ट्रेंड देखना होगा।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश