मालदीव में पिछली अब्दुल्ला यामीन सरकार के कार्यकाल (2013-2018) में चीन ने कई ढांचागत परियोजनाएं और बड़ी रिहायशी इमारतें बना कर मालदीव की जनता को खुश किया। लेकिन अब मालदीव की मौजूदा इब्राहिम मुहम्मद सालेह सरकार को चिंता सता रही है कि इन परियोजनाओं के लिये भारी ब्याज दर पर चीन के एक्सपोर्ट इम्पोर्ट बैंक ने मालदीव की सरकार और प्राइवेट कम्पनियों को जो भारी कर्ज दिया है, उसका भुगतान वह कैसे करेगी।
मालदीव भी चीन के कर्ज-जाल में फँसेगा?
- विचार
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- 29 Sep, 2020

मालदीव की अब्दुल्ला यामीन सरकार के कार्यकाल के दौरान चीन और मालदीव के बीच नजदीकियां काफी बढ़ गई थीं और इसी दौरान मालदीव ने भारत के साथ राजनयिक और रक्षा सम्बन्धों का स्तर नीचा कर दिया था। मालदीव की सामरिक अहमियत इसी से समझी जा सकती है कि चार लाख की आबादी वाले इस छोटे द्वीप देश का 2014 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दौरा किया था और इसके बाद से ही यामीन सरकार के भारत के प्रति तेवर काफी कड़े हो गए थे।
मालदीव का सकल घरेलू उत्पाद करीब पांच अरब डॉलर का है। देश के पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मद नशीद के मुताबिक़ मालदीव पर चीन का करीब 3.1 अरब डॉलर का कर्ज चढ़ चुका है। कोरोना महामारी की वजह से मालदीव को पर्यटन से होने वाली एकमात्र आय में भारी कमी दर्ज की गई है। इसलिये मालदीव की सरकार परेशान है कि अगर वह चीन को इन कर्जों का भुगतान वक्त पर नहीं करेगी तो चीन न जाने उसके साथ कैसे पेश आएगा।