महात्मा गाँधी का पार्थिव शरीर आम जनता के दर्शन के लिए विशेष वाहन पर रखा हुआ था। इनके शरीर के आसपास पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, देवदास गाँधी, सरदार बलदेव सिंह, आचार्य जेबी कृपलानी और राजेंद्र प्रसाद कुछ ऐसे अस्थिर से खड़े थे मानो संगमरमर की मूर्ति हों।
गाँधी की हत्या के सदमे में पटेल को आया था हार्ट अटैक
- विचार
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- 30 Jan, 2020

बीजेपी सरदार पटेल की विरासत पर हक़ जताती है। इसके साथ ही उसके नेता महात्मा गाँधी के हत्यारे गोडसे को भी बीच-बीच में सही ठहराने की कोशिश करते रहते हैं। सरदार पटेल गाँधी के इतने नज़दीक थे कि उनकी हत्या के बाद उन्हें ज़ोरदार सदमा लगा था। पढ़ें प्रीति सिंह का लेख।
राजघाट में गाँधी का पार्थिव शरीर अंतिम संस्कार के लिए वाहन से उतारा गया। “गाँधी का सिर सरदार की गोद में था। पटेल लगातार रोए जा रहे थे और ऐसा लग रहा था कि सरदार अचानक बूढ़े हो गए थे।” (एंड ऑफ़ एन एपक - मनुबेन गाँधी, पेज 61)।
इसके पहले पटेल ने 30 जनवरी 1948 को गाँधी की हत्या के तत्काल बाद राष्ट्र को संबोधन में कहा, “आप जानते हैं कि हमारे ऊपर जो बोझ पड़ रहा है, वह इतना भारी है कि क़रीब-क़रीब हमारी कमर ही टूट जाएगी। उनका एक सहारा था और हिंदुस्तान को यह बहुत बड़ा सहारा था। हमको तो जीवन भर उन्हीं का सहारा था। आज वह चला गया।”