नौकरशाही को दुनिया भर में समाज के सबसे सुरक्षित तबक़े का स्थान हासिल है। इसके बावजूद जब कभी सियासी हुक़्मरानों की मिट्टी पलीद होती है, उन पर नाकामियों का ठीकरा फूटने की नौबत आती है तो उनकी खाल बचाने के लिए भी अफ़सरों को ही बलि का बकरा बनना पड़ता है। इसीलिए मुम्बई में बीएमसी के मुखिया प्रवीण परदेशी को ऐन संकट-काल में बदल दिया गया। उन्हें शहरी विकास विभाग की उसी जगह पर भेज दिया गया जहाँ से नये बीएमसी मुखिया इक़बाल सिंह चहल को लाया गया है।
बीएमसी कमिश्नर का तबादला, क्या ज़्यादा टेस्टिंग की मिली सज़ा?
- विचार
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- 9 May, 2020

आख़िर वह क्या वजह थी जिसने प्रवीण परदेशी को सूली पर चढ़ा दिया? इसके जवाब में अन्दर की बात सिर्फ़ इतनी सी है कि प्रवीण परदेशी लगातार मुम्बई में टेस्टिंग की रफ़्तार को और तेज़ी से बढ़ाने पर ज़ोर पर ज़ोर दिये जा रहे थे। परदेशी के जाने तक शहर में रोज़ाना 4,000 से ज़्यादा नमूनों की जाँच होने लगी थी। परदेशी इसे और कई गुना ज़्यादा बढ़ाना चाहते थे, क्योंकि शहर को सामुदायिक संक्रमण (Community spread) के ख़तरे से बचाने का इसके सिवाय और कोई दूसरा तरीक़ा नहीं हो सकता।
मुकेश कुमार सिंह स्वतंत्र पत्रकार और राजनीतिक प्रेक्षक हैं। 28 साल लम्बे करियर में इन्होंने कई न्यूज़ चैनलों और अख़बारों में काम किया। पत्रकारिता की शुरुआत 1990 में टाइम्स समूह के प्रशिक्षण संस्थान से हुई। पत्रकारिता के दौरान इनका दिल्ली