राजस्थान के बहाने कांग्रेस की लड़ाई सड़क से लेकर अदालत तक पहुँच गई है और लगता है कि राजनेताओं ने आचार-व्यवहार की भी सभी सीमाएँ लाँघ दी हैं। कल तक एक-दूसरे के साथ गले मिलने वाले लोग अब एक-दूसरे का गला काटने पर उतारू हो गए हैं। राजस्थान में आमतौर पर राजनेताओं को मधुर व्यवहार के लिए जाना जाता रहा है और वहाँ अभी तक यूपी, बिहार या दूसरे प्रदेशों की राजनीति की तरह दूसरी विरोधी पार्टियों के नेताओं से भी पारिवारिक रिश्ता बना रहता था, वहाँ अब एक ही पार्टी के लोग एक-दूसरे के कपड़े फाड़ने में लग गए हैं तो हैरत होती है।
राजस्थान: एक-दूसरे के कपड़े फाड़ने से नहीं, मीठी ज़ुबान से दूर होता है सियासी संकट
- विचार
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- 21 Jul, 2020

इस वक़्त राजस्थान विधानसभा की एक घटना याद आ रही है तब भैरोंसिंह शेखावत मुख्यमंत्री होते थे और हरिशंकर भाभड़ा विधानसभा अध्यक्ष। एक बार तो भाभड़ा ने शेखावत का तख्ता पलट करने की कोशिश की थी। उन दिनों शेखावत ने एक परंपरा डाली कि विधानसभा में हर दिन जो भी वक्ता अच्छा भाषण देगा वो लड्डू मँगवायेगा और वो लड्डू सभी विधायकों के लिए होंगे। भले ही विधानसभा में सदन के भीतर किसी भी मुद्दे पर सरकार को घेरा जाए लेकिन लंच और लड्डू सब लोग साथ खाते थे।