पिछले लगभग एक हफ़्ते से हम उन लाखों मज़दूरों को भूखे-प्यासे सड़कों पर देख रहे हैं जो किसी तरह अपने वतन, अपने घर-गाँव पहुँच जाना चाहते हैं। शहरों ने इन्हें निकाल दिया है और गाँव तक पहुँचने के ज़रिए बंद कर दिए गए हैं। उनके पास कोई विकल्प नहीं है सिवाय इसके कि जान हथेली पर रखकर निकल पड़ें। घर पहुँच गए तो ठीक नहीं तो रास्ते में ही दम तोड़ देंगे। रास्ते में कुछ लोगों की मौत भी हो चुकी है।
कोरोना: देश के विभाजन की याद दिलाता महानगरों से मजदूरों का पलायन
- विचार
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- 31 Mar, 2020

लॉकडाउन की घोषणा के बाद से ही महानगरों से गाँवों की ओर लोगों का पलायन लगातार जारी है। पलायन के दृश्यों को देखकर 1947 के भारत के विभाजन का समय याद आता है।
घर तक पहुँचते-पहुँचते न जाने कितने और लोग मर जाएंगे। और अब तो एलान हो गया है कि उन्हें उनके राज्यों में घुसने नहीं दिया जाएगा, 14 दिनों के लिए बाहर ही रोक लिया जाएगा।