कल मुझे पश्चिमी यूपी के मेरठ के एक गाँव में रहने वाले मेरे दोस्त ने बताया कि हजारों किसान राकेश टिकैत और दिल्ली के पास गाज़ीपुर की सीमा पर इकट्ठे हुए आंदोलनकारी किसानों से मिलने के लिए ट्रैक्टर लेकर चले गए हैं।
किसान आंदोलन: एकजुट होने लगे हिंदू-मुसलिम
- विचार
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- 3 Feb, 2021

अब पश्चिमी यूपी के हिंदुओं (और मुसलमानों) को एहसास हो गया है कि उन्हें बेवक़ूफ़ बना दिया गया था कि वे एक-दूसरे के दुश्मन हैं। वहां के किसान, चाहे वह हिंदू हों या मुसलमान, को अपनी कृषि उपज के लिए पर्याप्त पारिश्रमिक नहीं मिलने की समस्या है और एकजुट होकर संघर्ष करने से ही उनकी मांग पूरी हो सकती है।
2013 के मुज़फ़्फ़रनगर दंगों के बाद, मेरठ, मुज़फ़्फ़रनगर और इन क्षेत्रों के अन्य पश्चिमी जिलों के किसान धार्मिक क्षेत्रों में ध्रुवीकृत हो गए थे और हिंदू हिंदुत्ववादी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रबल समर्थक बन गए थे। अब ये वही हिंदू (और मुसलिम) किसान बीजेपी के कट्टर विरोधी और किसान आंदोलन के प्रबल समर्थक बन गए हैं। ये कैसे हुआ?