“आप संविधान समीक्षा की बात करते हैं अपने एजेंडा में, क्या आपने न्यायविदों से इस पर बात की है? क्या आपने दूसरी पार्टियों की सहमति ली है? क्या इस पर कोई चर्चा है? किस दिशा मे आप संविधान में रिव्यू करने जा रहे हैं? .याद रखिए जब-जब संसदीय गणतंत्र टूटा है, वहाँ के नेताओं ने कहा कि संविधान कमज़ोर है, इसको बदलने की ज़रूरत है। आपने जो एजेंडा बनाया है, वह एक भयंकर दिशा मे संकेत करता है। गुरुदेव! आप रास्ते से भटक रहे हो, आपका भटकाव देश के लिए भारी पड़ेगा। मैं आपको चेतावनी देने के लिए खड़ा हुआ है, ये एजेंडा केवल विश्वासघात का दूसरा दस्तावेज़ है, जिससे देश को बरबादी होगी। इसलिए मैं इस विश्वासमत के प्रस्ताव का विरोध करता हूँ।“