3 सितम्बर 2021 को जब मैंने एनडीटीवी को इंटरव्यू दिया था तो मुझे मालूम नहीं था कि मेरी बातों पर इस तरह की तीखी प्रतिक्रिया पैदा होगी। एक तरफ़ कुछ लोगों ने बड़े कड़े शब्दों में अपनी नाराज़गी और ग़ुस्से का इज़हार किया है, और दूसरी तरफ़ देश के हर कोने और इलाक़े से लोगों ने मेरी बात की तस्दीक की है, मेरे नज़रिए से सहमति जताई है। मैं उन सब का शुक्रिया अदा करना चाहूँगा, पर उससे पहले मैं उन आरोपों और अभियोगों का जवाब देना चाहूँगा जिन्हें मेरे इंटरव्यू से नफ़रत करने वालों ने मुझ पर लगाया है। क्योंकि इलज़ाम लगाने वाले हर एक इन्सान को अलग-अलग जवाब देना संभव नहीं है, मैं यहाँ एक समवेत जवाब दे रहा हूँ।
‘मैं नहीं चाहता कि हिंदू दक्षिणपंथी झूठ के पर्दे के पीछे छिपें कि मैं मुसलिम दक़ियानूसी का विरोध नहीं करता’
- विचार
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- 14 Sep, 2021

मेरे विरोधी इस बात से भी उत्तेजित हैं कि मुझे तालिबानी सोच और हिंदू-चरमपंथियों के बीच बहुत समानता दीखती है। तथ्य यह है कि दोनों की सोच में समानता है ही। तालिबान ने एक मज़हब पर आधारित इसलामी सरकार बना ली है, और हिंदू दक्षिणपंथी भी एक धर्माधारित हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहते हैं...
मेरे आलोचकों का इलज़ाम है कि मैं हिन्दू दक्षिणपंथियों की आलोचना तो करता हूँ, मगर कभी मुसलिम उग्रपंथियों के ख़िलाफ़ नहीं बोलता। उनका अभियोग है कि मैं तीन-तलाक़, पर्दे-हिजाब, और मुसलमानों के दूसरे पिछड़ेपन के दस्तूरों के बारे में कभी कुछ नहीं बोलता। मुझे कोई आश्चर्य नहीं कि इन लोगों को मेरे बरसों से किये इन कामों का ज़रा भी इल्म नहीं है। आख़िरकार मैं इतना महत्वपूर्ण व्यक्ति तो नहीं हूँ कि सब को मेरे क्रिया-कलापों की ख़बर हो जो मैं लगातार करता रहा हूँ।