पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लेने वाली कोरोना वायरस महामारी भारत ही नहीं बल्कि विश्व के कई देशों की जेलों में बंद कैदियों के लिये वरदान साबित हो रही है। इन जेलों में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए कुछ श्रेणियों में आने वाले कैदियों को रिहा करने की कवायद चल रही है। भारत की जेलों में कैदियों की भीड़ कम करने के इरादे से सात साल तक की सज़ा के दायरे में आने वाले दोषियों और विचाराधीन कैदियों को रिहाई के लिए राज्य सरकारें क़दम उठा रही हैं।
कोरोना से अपराधियों की बल्ले-बल्ले, 7 साल तक सज़ा वालों को जेल से आज़ादी!
- विचार
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- 15 Apr, 2020

पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लेने वाली कोरोना वायरस महामारी भारत ही नहीं बल्कि विश्व के कई देशों की जेलों में बंद कैदियों के लिये वरदान साबित हो रही है।
उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के परिप्रेक्ष्य में यह कार्रवाई की जा रही है। इस आदेश पर अमल होने की स्थिति में 50 हज़ार से भी ज़्यादा कैदियों की एक निश्चित अवधि के लिए पैरोल या अंतरिम जमानत पर रिहाई की संभावना है। लेकिन पैरोल या अंतरिम ज़मानत पर रिहा होने वाले इन कैदियों की गतिविधियों पर पैनी निगाह रखने की व्यवस्था अगर नहीं की गयी तो कोरोना वायरस महामारी पर काबू पाने के प्रयासों के दौरान ये स्थानीय लोगों और पुलिस तथा प्रशासन के लिए बहुत बड़ी समस्या खड़ी कर सकते हैं।