बुलंदशहर के स्याना थाना क्षेत्र की हिंसक घटना बहुत सारे सवाल के साथ हमारी राजनीतिक व्यवस्था पर नाज़िल हो गई है। एक भीड़ ने स्याना के थानेदार सुबोध कुमार सिंह को उस वक़्त मार दिया जब वे सड़क पर जाम लगाने से रोकने के लिए अपने इलाक़े के एक गाँव में गए हुए थे। वह भीड़ इस अफ़वाह के बाद इकठ्ठा हुई थी कि किसी खेत में पशु के कुछ अवशेष मिले हैं जो संभवतः गाय का माँस था।
आसपास के लोग इकठ्ठा हो गए और सड़क पर जाम लगा दिया, जब इंस्पेक्टर सुबोध कुमार मौक़ा-ए-वारदात पर पहुँचे तो भीड़ उग्र रूप ले चुकी थी। सुबोध ने लोगों को शांत कराया। जब वे भीड़ को समझा-बुझा कर वापस आने के लिए अपनी जीप में बैठे तो फिर हिंसा शुरू हो गई और उसका एक नतीजा यह हुआ कि थानेदार साहब की मौत हो गई।

बजरंग दल नेता की भूमिका

पुलिस ने क़रीब 70 लोगों को जाँच की ज़द में लिया है और कुछ गिरफ़्तारियाँ भी हुई हैं। अपराध में जिन लोगों के शामिल होने का शक है उनमें योगेश राज नाम का एक नौजवान है। उसके बारे में पुलिस को पता चला है कि वह बजरंग दल का ज़िला संयोजक है। उसके परिवार के लोगों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि वह बजरंग दल से संबंधित है।
परिवार से यह भी पता चला है कि वह हिंसा की घटना वाले स्थान पर ही गया था लेकिन उसके परिवार वालों का दावा है कि पुलिस अधिकारी की हत्या में उसकी कोई भूमिका नहीं है। इसी तरह आरोपियों में से ज़्यादातर लोग योगेश राज की मंडली के ही बताए जाते हैं जो भीड़ का हिस्सा थे और मरने-मारने पर उतारू थे। एफ़आईआर में शिखर अग्रवाल का भी नाम है जो बीजेपी के युवा मोर्चा के शहर अध्यक्ष हैं। विहिप के शहर अध्यक्ष उप्रेंद्र राघव का भी एफ़आईआर में नाम है।