स्पैनिश फ्लू महामारी की दूसरी लहर 1918 के सितंबर में जब भारत पहुंची तो इसने सबसे ज्यादा लोगों की जान ली। खासकर गुजरात में इसका कहर कुछ ज्यादा ही दिखा। वहां समस्या यह थी कि मानसून में बारिश लगभग न के बराबर हुई थी। खरीफ की फसल का बुरा हाल हो चुका था और ऐसी सूरत नजर नहीं आ रही थी कि रबी की फसल ठीक से बोई जा सकेगी।
स्पैनिश फ्लू: महामारी से लड़ने वाले तीन भारतीय जिन्हें हम भूल गए
- विचार
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- 7 May, 2020
स्पैनिश फ्लू महामारी के वक्त गुजरात में हालात बेहद ख़राब थे। ऐसे में कल्याणजी मेहता, कुंवरजी मेहता और दयालजी देसाई लोगों की सेवा के लिए आगे आए।

अकाल भयानक होता जा रहा था और पीने का पानी तक लोगों को नहीं मिल पा रहा था। कुछ लेखकों ने तो यहां तक लिखा है कि पानी की चोरी और उसकी लूटपाट आम बात हो चुकी थी। अनाज की कीमतें आसमान छू रही थीं और सरकार यह तय नहीं कर पा रही थी कि गेहूं का निर्यात रोक देना चाहिए या नहीं।