हालात तकरीबन सभी जगह खराब हैं। महंगाई इस समय पूरी दुनिया में ही गरीबों की परेशानी और अर्थशास्त्रियों की चिंताएं बढ़ा रही है। गरीब, विकासशील, नाकाम, विकसित और अतिविकसित किसी भी तरह के देश इससे बच नहीं पाए हैं। भारत में महंगाई का हाल बताने वाली मुद्रास्फीति की दर 6.7 फीसदी है और रिजर्व बैंक से लेकर तमाम अर्थशास्त्री चिंता जता चुके हैं। मुश्किलें बढ़ने वाली हैं इसकी भविष्यवाणियां भी शुरू हो गई हैं।

दुनिया के तमाम मुल्क़ महंगाई का दंश झेल रहे हैं। इसका सबसे ज़्यादा असर ग़रीब और मध्यम वर्ग पर हो रहा है। इस बीच रूस-यूक्रेन के युद्ध के कारण हालात और ख़राब हुए हैं।
अब जरा इसकी तुलना कुछ अन्य देशों से करें। तुर्की और अर्जेंटीन इस समय दुनिया के दो ऐसे देश हैं जहां मुद्रास्फीति की दर 50 फीसदी के आंकड़ें को पार कर चुकी है। दूर न जाएं तो हमारे पड़ोसी श्रीलंका में यह आंकड़ा 15 फीसदी से भी ज्यादा हो चुका है।
पाकिस्तान में भी यह आंकड़ा 12 फीसदी को पार कर चुका है। दुनिया की सबसे विकसित अर्थव्यवस्था अमेरिका में मुद्रास्फीति कईं दशक बाद आठ फीसदी को छूती दिख रही है।