पिछले कुछ दिनों में तमाम अर्थशास्त्री बजट से जो उम्मीदें जता रहे थे उन्हें ध्यान से सुनिये। देश को महामारी के बाद के आर्थिक संकट से उबारने के लिए वे दो चीजों पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की बात कर रहे थे। एक तो रोजगार के अवसर बढ़ाने के और दूसरा अर्थव्यवस्था में नई मांग पैदा करने के। वित्त मंत्री ने जो बजट पेश किया उसमें दूसरी बात को तो उन्होंने पूरी तरह से ही नकार दिया, लेकिन पहले पर जितनी बात की गई इतना कुछ हुआ नहीं।
बजटः रोजगार और बाजार दोनों नज़रअंदाज
- देश
- |
- 29 Mar, 2025
निर्मला सीतारमण ने बजट 2022 में रोजगार की बात की है लेकिन वो कैसे पैदा होंगे, इसके बारे में नहीं बताया। उन्होंने बाजार की बात की है लेकिन वहां डिमांड पैदा करने के उपाय ही नहीं किए गए। पढ़िए पूरा लेख

रोजगार के अवसर पैदा करने के दो सीधे तरीके हो सकते थे एक तो पूँजीगत खर्च यानी कैपेक्स को बढ़ाना जिससे कि बहुत सारे इन्फ्रास्ट्रक्चर वगैरह की परियोजनाएं शुरू करके सरकार बड़े पैमाने पर तत्काल लोगों को रोजगार दे सके। दूसरा तरीका था सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देना।