पिछले कुछ दिनों में तमाम अर्थशास्त्री बजट से जो उम्मीदें जता रहे थे उन्हें ध्यान से सुनिये। देश को महामारी के बाद के आर्थिक संकट से उबारने के लिए वे दो चीजों पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की बात कर रहे थे। एक तो रोजगार के अवसर बढ़ाने के और दूसरा अर्थव्यवस्था में नई मांग पैदा करने के। वित्त मंत्री ने जो बजट पेश किया उसमें दूसरी बात को तो उन्होंने पूरी तरह से ही नकार दिया, लेकिन पहले पर जितनी बात की गई इतना कुछ हुआ नहीं।