विदेशों में काम करने वाले लाखों भारतीयों को भारत लाने का बीड़ा अब भारत सरकार ने उठा लिया है। यह स्वागत योग्य क़दम है। भारतीयों की यह घर वापसी शायद इतिहास की बेजोड़ घटना होगी। 1990 में जब सद्दाम हुसैन के शासन वाले इराक़ के ख़िलाफ़ अमेरिका ने मिसाइलें दागी थीं, तब भी खाड़ी देशों से लगभग पौने दो लाख लोग भारत लौटे थे। लेकिन इस बार लाखों लोग लौटने की कतार में खड़े हैं।
विदेशों से भारतीयों की घर वापसी, सरकार के लिए बड़ी चुनौती
- विचार
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- 7 May, 2020

देखना यह है कि भारत वापस लौटने वाले ये लोग, जिनकी संख्या लाखों में हैं, वापस उन देशों में जाएंगे या नहीं? यदि वे नहीं जाएंगे तो उन्हें भारत में रोज़गार कैसे मिलेगा? क्या वे कम वेतन पर काम करना चाहेंगे? इनमें जो मजदूर हैं, वे तो शायद भारतीय कारखानों में खप जाएंगे लेकिन ऊंचे वेतन वाले लोग बड़ा सिरदर्द खड़ा कर सकते हैं।
मुझे याद है कि इन देशों में कार्यरत मेरे दर्जनों मित्र अपनी कारें, कीमती फर्नीचर और मकान भी छोड़कर भाग खड़े हुए थे। चंद्रशेखर जी की तत्कालीन सरकार के राजदूतों ने अपने लोगों की दिल खोलकर मदद की थी लेकिन अब 30 साल बाद उस युद्ध से भी बड़ा ख़तरा हमारे प्रवासियों के दिल में बैठ गया है।