लोकसभा चुनाव से पहले नीति आयोग ने देश में गरीबों की संख्या संबंधी अपने आकलन के रूप में जो एक बम फोड़ा है उसकी गूंज चुनाव भर में बनी रहे तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। आयोग के किसी अर्थशास्त्री की जगह उसके सीईओ बी वी आर सुब्रह्मण्यम द्वारा जारी किए गए इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देश में 2013-14 और 2022-23 के बीच गरीबों की संख्या में तेजी से कमी आ गई है और अब यह पाँच फीसदी से नीचे पहुँच गई है जिसका मतलब हुआ कि देश में गरीबों की संख्या सात करोड़ से अधिक नहीं रह गई है। जाहिर है इन दस वर्षों में देश में नरेंद्र मोदी का शासन रहा है और अगर यह अनुमान सही है तो यह सरकार के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि होगी।
गजब हाल है! गरीबी रेखा का पता नहीं, लेकिन ग़रीबी घट गई!
- विचार
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- 27 Feb, 2024

केंद्र सरकार ने ग़रीबी घटने के बड़े दावे किए हैं, लेकिन क्या यह पता है कि यह कैसे हुआ? क्या ग़रीबी रेखा के बारे में जानकारी है? क्या पता है कि प्रतिदिन कितने ख़र्च को आधार बनाया गया है?
अभी कुछ समय पहले ही एक नामी अंतरराष्ट्रीय संस्था के सहयोग से हुए अध्ययन में भी मल्टी डायमेंशनल पॉवर्टी में भी भारी गिरावट की बात की गई थी जिसका उल्लेख प्रधानमंत्री बार बार अपने भाषणों में करते हैं। उस अध्ययन और उसके आसपास हुए दूसरे अध्ययनों को लेकर भी हल्का विवाद रहा लेकिन आम तौर पर इस पचीस करोड़ की कमी (जिसमें यूपीए के शासन के दौरान ज्यादा तेज गिरावट बताई गई थी) को स्वीकार किया गया।