- लेखक: जस्टिस काटजू, भारतीय सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश, अमाइल गुलज़ार, पाकिस्तान में लाहौर के एडवोकेट और डॉ. सल्फियाह,भारत के श्रीनगर में डॉक्टर
COVID और अन्य चुनौतियों से संयुक्त रूप से निपटने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान द्वारा बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को दिए गए हालिया प्रस्ताव का स्वागत किया जाना चाहिए। लेख 'PM Khan, Bangladeshi counterpart discuss measures to contain COVID-19' पढ़ें।
वास्तव में, भारतीय उपमहाद्वीप के सभी तीन देशों यानी भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश समान समस्याओं का सामना कर रहे हैं जैसे - भयंकर ग़रीबी, तेज़ी से बढ़ती और रिकॉर्ड तोड़ती बेरोज़गारी, चौंकाने वाले बाल कुपोषण के स्तर, जनता के लिए समुचित स्वास्थ्य सुविधा और अच्छी शिक्षा का अभाव , डूबती अर्थव्यवस्था, खाद्य पदार्थों, ईंधन, दवाओं आदि की आसमान छूती क़ीमतें, पानी, बिजली, आवास की किल्लत आदिI
भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे के साथ लड़ते हुए अपने क़ीमती और दुर्लभ संसाधनों को बर्बाद करते हैं और इस उद्देश्य के लिए विदेशी हथियार खरीदने में अरबों डॉलर ख़र्च करते हैं, जबकि इसके बजाये उन्हें हाथ मिलाना चाहिए और संयुक्त रूप से (बांग्लादेश के साथ) उपरोक्त सामाजिक-आर्थिक बुराइयों से निपटना चाहिए।
जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कल बांग्लादेश की प्रधान मंत्री को फ़ोन किया और अपने देशों के समक्ष COVID और अन्य समस्याओं का सामना करने के लिए संयुक्त प्रयासों का सुझाव दिया। भारत को भी इस क़दम की सराहना और अनुकरण करना चाहिए।
हमारे उपमहाद्वीप में इस संकट के समय इन भारी समस्याओं का सामना और समाधान करने के लिए हम तीनों देशों के प्रधानमंत्रियों को एक दूसरे से संपर्क कर, वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, अर्थशास्त्रियों, अन्य तकनीकी और प्रशासनिक विशेषज्ञों की संयुक्त टीमें स्थापित करना चाहिएI इस पहल में भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा पहला क़दम उठाया जाना चाहिए क्योंकि भारत तीन देशों में सबसे बड़ा देश है। भारतीय प्रधानमंत्री को तुरंत अन्य दो देशों के प्रधानमंत्रियों से संपर्क करना चाहिए और उपरोक्त प्रस्ताव उनके समक्ष रखना चाहिए।
सबसे पहले तीनों सरकारों को तुरंत कोरोना समस्या, जो दुनिया भर में ख़तरा बन चुकी है, उसका सामना करने के लिए वैज्ञानिकों, डॉक्टरों और अन्य विशेषज्ञों की एक संयुक्त टीम का गठन करना चाहिए।
किरन मजूमदार शॉ (बायोकॉन लिमिटेड की प्रमुख) जैसे निजी उद्यमी भी इस टीम में शामिल किये जाने चाहिए। इस संयुक्त टीम को समस्या पर वैज्ञानिक अनुसंधान करने के लिए तीनों सरकारों द्वारा सभी धन और सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए।
इन तीनो देशों में कई उज्ज्वल विशेषज्ञ हैं, जिनको संयुक्त रूप से अनुसंधान करके COVID 19 के लिए वैक्सीन या दवा तैयार करने को कहा जाना चाहिए।
तीनों सरकारें COVID रोगियों के लिए पर्याप्त वेंटिलेटर के निर्माण हेतु अपने संसाधनों का भी योगदान कर सकती हैं।
हमारा मानना है कि इस तरह की स्थिति में तीनों देशों के सभी राजनीतिक नेताओं को वैचारिक और अन्य मतभेदों को अलग करना चाहिए, और इस अवसर पर संयुक्त रूप से इस सामान्य ख़तरे का सामना करना चाहिए। प्रधानमंत्री इमरान ख़ान द्वारा की गई पहल का, तीनों देशों के नेताओं और अन्य देशों द्वारा भी व्यापक स्तर पर स्वागत और पालन किए जाने की आवश्यकता है।
अपनी राय बतायें