सभी देशवासियों के लिए यह खुशख़बर है कि अब इंडिया गेट पर सुभाषचंद्र बोस की भव्य प्रतिमा सुसज्जित की जाएगी। इसे मैं हमारे नेताओं की भूल-सुधार कहूँगा, क्योंकि उस स्थान से जॉर्ज पंचम की प्रतिमा को हटे 52 साल हो गए लेकिन किसी सरकार के दिमाग़ में यह बात नहीं आई कि वहाँ चंद्रशेखर आज़ाद या भगतसिंह या सुभाष बाबू की प्रतिमा को प्रतिष्ठित किया जाए।
अमर जवान ज्योति के 'विलय' पर बहस क्यों?
- विचार
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- 23 Jan, 2022

भारत में किसी भी पार्टी का प्रधानमंत्री हो, सभी शहीद उसके लिए तो एक समान ही होने चाहिए। कांग्रेसी-काल और भाजपा-काल के शहीदों में फर्क करना और उनके लिए अलग-अलग स्मारक खड़े करना कहाँ तक ठीक है?
अब सुभाष बाबू की प्रतिमा तो वहां लगेगी ही, सरकार ने एक काम और कर दिया है, जिसकी फिजूल ही आलोचना हो रही है। वह है, अमर जवान ज्योति और राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को मिलाकर एक कर दिया गया है।