भारत और चीन के बीच मध्यस्थता की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प की बुधवार को की गई पेशकश को इसलिये हलके में नहीं लिया जाना चाहिये कि वह नादानी में अक्सर ऐसा बोलते हैं। इसके पहले कई बार डोनल्ड ट्रम्प भारत और पाकिस्तान के बीच भी मध्यस्थता की पेशकश कर चुके हैं और भारत इसे ठुकरा चुका है। इसलिये नहीं कह सकते कि राष्ट्रपति ट्रम्प को इस बात का अहसास नहीं होगा कि भारत और चीन के बीच सीमा तनाव को दूर करने के लिये अपनी सेवाएँ देने की उनकी पेशकश को चीन तो ठुकरा ही देगा भारत भी स्वीकार नहीं करेगा।
भारत-चीन में बीच-बचाव की पेशकश ट्रम्प ने नादानी में की या यह कोई रणनीति है?
- विचार
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- 27 May, 2020

भारत और चीन के बीच सैन्य तनातनी ने दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प का बुधवार को जारी ताज़ा ट्वीट इसी बात की ओर इशारा करता है कि अमेरिकी प्रशासन चीन पर अप्रत्यक्ष दबाव डालना चाहता है कि वह भारत के साथ सीमा मसले को तुल नहीं दे।
अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा ट्वीट के ज़रिये बीच-बचाव की पेशकश करने के पहले भारत और चीन के बीच उभरते हालात पर विश्व समुदाय की चिंता से अमेरिकी प्रशासन ने चीन और भारत को एक साथ सूचित किया था। यहाँ राजनयिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि राष्ट्रपति ट्रम्प के अमेरिकी प्रशासन ने चीन पर दबाव बनाने के लिये इसका इस्तेमाल किया है और एक सुविचारित रणनीति के तहत राष्ट्रपति ट्रम्प से बीच-बचाव की पेशकश का ट्वीट जारी करवाया है। यह महज संयोग नहीं है कि डोनल्ड ट्रम्प का ताज़ा ट्वीट जारी होने के वक़्त ही पेइचिंग में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव को लेकर टिप्पणी करते हुए चीन का तेवर नरम करने के संकेत दिये थे। इसके साथ ही नई दिल्ली में चीनी राजदूत सुन वेईतुंग ने भी एक समारोह को सम्बोधित करते हुए सीमा पर ताज़ा तनातनी पर टिप्पणी करते हुए नरम रवैया दिखाते हुए कहा कि भारत और चीन के बीच सामरिक तौर पर परस्पर विश्वास बढ़ाने की ज़रूरत है और कभी भी मतभेदों की छाया को आपसी सहयोग पर नहीं पड़ने दें।