भारत में उत्तर प्रदेश हिंदी का सबसे बड़ा गढ़ है लेकिन देखिए कि हिंदी की वहाँ कैसी दुर्दशा है। इस साल दसवीं और बारहवीं कक्षा के 23 लाख विद्यार्थियों में से लगभग 8 लाख विद्यार्थी हिंदी में अनुतीर्ण हो गए। डूब गए। जो पार लगे, उनमें से भी ज़्यादातर किसी तरह बच निकले। प्रथम श्रेणी में पार हुए छात्रों की संख्या भी लाखों में नहीं है। यह वह प्रदेश है, जिसने हिंदी के सर्वश्रेष्ठ साहित्यकारों और देश के सर्वाधिक प्रधानमंत्रियों को जन्म दिया है।
अंग्रेज़ी के आगे प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री दब्बू साबित हुए, हिंदी कैसे बने राष्ट्रभाषा?
- विचार
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- 29 Mar, 2025

सच्चाई तो यह है कि अंग्रेज़ी आज भी भारत की राजभाषा है। अंग्रेज़ी की इस भूतनी के आगे हमारे सारे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री दब्बू साबित हुए हैं। ये स्वतंत्र भारत के ग़ुलाम नेता हैं। इन बेचारों को पता ही नहीं कि कोई राष्ट्र संपन्न, शक्तिशाली और सुशिक्षित कैसे बनता है। दुनिया का कोई भी राष्ट्र विदेशी भाषा के ज़रिए संपन्न और महाशक्ति नहीं बना है।