आख़िरकार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को अपना बयान वापस लेना पड़ा या पूरी लीपापोती करनी पड़ी। उन्होंने एक हिंदूवादी हिंदी संस्था में भाषण देते हुए यह इच्छा व्यक्त की थी कि हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाया जाना चाहिए। लेकिन जब अगले ही दिन उनकी अपनी पार्टी बीजेपी के एक मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने इसका विरोध करते हुए कहा कि भाषा के मसले पर कोई समझौता नहीं हो सकता, तो अमित शाह ने ख़तरे को भांप लिया और हिंदी को दूसरी भाषा के रूप में मान्यता दिए जाने की ज़रूरत बताई।