अगले आम चुनाव से पहले केंद्र सरकार अपनी जिन योजनाओं में तेजी ला रही है उनमें से एक है एथेनाॅल परियोजना। इस परियोजना से यह उम्मीद बांधी जा रही है कि जल्द ही सरकार 300 अरब रुपये की विदेशी मुद्रा बचा लेगी। सरकार ने पेट्रोल में बीस फ़ीसदी एथेनाॅल मिलाने का कार्यक्रम लांच कर दिया है। 11 राज्यों के चुनिंदा शहरों में अब ऐसा पेट्रोल उपलब्ध है और जल्द ही इसका विस्तार कर दिया जाएगा। विदेशी मुद्रा की बचत के अलावा इसका एक और फायदा गिनाया जा रहा है कि इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी।

एथेनाॅल परियोजना से जुड़ा एक तर्क है जो शायद अगले आम चुनाव तक चले। कहा जा रहा है कि इससे किसानों को फायदा होगा और उनकी आमदनी बढ़ेगी। लेकिन क्या सच में ऐसा होगा?
इस इथेनाॅल ब्लैंडिंग प्रोग्राम के शुरुआती चरणों में 2013-14 में पेट्रोल में 1.5 फ़ीसदी एथेनाॅल मिलाया गया था और योजना यह थी कि इसे धीरे-धीरे बढ़ाकर 2030 तक 20 फ़ीसदी पहुँचा दिया जाएगा। नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद इस लक्ष्य के लिए समय पांच साल घटाकर 2025 कर दिया गया। योजना यह थी कि नवंबर 2022 तक दस फीसदी मिलावट शुरू हो जाएगी। लेकिन इसे पांच महीने पहले जून में ही पूरा कर लिया गया। और अब आठ महीने बाद एकाएक 20 फीसदी मिलावट वाला पेट्रोल बाजार में उतार दिया गया है।