23 तारीख़ को जब तक चुनाव के नतीजे नहीं आ जाते तब तक मैं यह मानने के लिए तैयार नहीं हूँ कि भारतीय जनता पार्टी और एनडीए को 300 से ज़्यादा सीटें मिल रही हैं, जैसा कि तमाम एग्ज़िट पोल बताने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ एग्ज़िट पोल तो इतने उत्साह में दिखे कि उन्होंने एनडीए को 350 से ज़्यादा सीट मिलने की बात कही। उनके आंकड़ों से ऐसा लगता है कि नरेंद्र मोदी के नाम से कोई आंधी नहीं बल्कि सुनामी चल रही थी। जिसने तमाम विपक्षी दलों के तंबू उखाड़ दिए, घर बर्बाद कर दिए और इमारतें धराशायी हो गईं।

अगर 23 तारीख़ को यही नतीजे आते हैं तो फिर यह समझ लेना चाहिए कि हिंदुस्तान पूरी तरीके़ से बदल गया है और वह नरेंद्र मोदी नाम के एक जादूगर के इशारे पर नाचता है। मैं फिलहाल, यह मानने को तैयार नहीं हूँ कि हिंदुस्तान को कोई अपनी उंगलियों पर नचा सकता है। मुझे, एग्ज़िट पोल के इन आंकड़ों पर क़तई यकीन नहीं है और इसके अपने कारण हैं।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।