भारतीय नीति शास्त्र में राजा को पिता का दर्जा दिया गया है। प्रजा संतान सरीखी है। प्रजा को दुख से मुक्ति दिलाना और सुख में समृद्ध करना, राजा के कर्तव्यों में अंतर्निहित है। लेकिन राजा की नज़र अगर फिर जाये तो पुराने जमाने में क़यामत आ जाती थी। प्रजा को ये नीतिगत सलाह भी दी जाती थी कि वो राजा के कोप से बचे।