प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आख़िरकार दिल्ली विधानसभा चुनाव को रामघाट पर पहुँचा दिया। मतदान से महज़ तीन दिन पहले प्रधानमंत्री ने अयोध्या मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने की घोषणा कर दी। विपक्ष ने संसद में ही कह दिया कि यह घोषणा दिल्ली विधानसभा चुनाव में हिंदू मतदाताओं को रिझाने के लिए किया गया। इस घोषणा के लिए समय का चुनाव जिस तरह किया गया, उस हिसाब से इसे चुनावी रणनीति से जोड़ा जाना स्वभाविक ही है। ट्रस्ट बनाने का निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को राम जन्मभूमि- बाबरी मसजिद विवाद के फ़ैसले के साथ ही दिया था। इस बात पर आश्चर्य किया जा रहा था कि सरकार ट्रस्ट के फ़ैसले पर क़रीब तीन महीनों तक चुप क्यों बैठी रही। चुनावी शतरंज में माहिर मोदी और अमित शाह को शायद दिल्ली चुनावों का इंतज़ार था।

चुनाव पूर्व सर्वे बताते हैं कि कांग्रेस काफ़ी पीछे छूट गयी है और मुक़ाबला आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच ही है। शुरुआत में बीजेपी ने मुसलमान, पाकिस्तान और राष्ट्रवाद के ज़रिए गोलबंदी की कोशिश की। और फिर अपनी तरकस से सबसे घातक तीर निकाला। राम। राम मंदिर। बीजेपी की मुश्किल यह है कि अरविंद केजरीवाल पहले से ही रामभक्त हनुमान का चालीसा पाठ कर रहे हैं।
शुरू में बीजेपी ने दिल्ली में अपना चुनाव अभियान शाहीन बाग़ के धरने के आसपास केंद्रित किया। नागरिकता संशोधन क़ानून यानी सीएए के ख़िलाफ़ शाहीन बाग़ में शांतिपूर्ण धरना को ख़ुद प्रधानमंत्री ने एक डिज़ाइन बता कर हिंदुओं को प्रकारांतर से डराने की कोशिश की। धरना देने वालों को गद्दार, हिंदू विरोधी, आतंकवादी, पाकिस्तान परस्त बताने की कोई कोर-कसर बीजेपी ने नहीं छोड़ी। लेकिन शायद बीजेपी नेताओं को अहसास हो गया कि दिल्ली का हिंदू डरा नहीं, यानी ‘डरा हुआ’ हिंदू एकजुट होकर बीजेपी को वोट देने के लिए उत्साहित दिखायी नहीं दिया।
शैलेश कुमार न्यूज़ नेशन के सीईओ एवं प्रधान संपादक रह चुके हैं। उससे पहले उन्होंने देश के पहले चौबीस घंटा न्यूज़ चैनल - ज़ी न्यूज़ - के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीवी टुडे में एग्ज़िक्युटिव प्रड्यूसर के तौर पर उन्होंने आजतक