सेक्युलर राजनीति ने दलित राजनीति करने वाले नेताओं का बुरा हाल कर दिया है। इस कदर कि उनकी पहचान ही ख़त्म होती जा रही है और दलित नेताओं को जनप्रतिनिधि के तौर पर उनके दलित समाज से ही मान्यता मिलती कम होती जा रही है। पहली नज़र में यह बात बड़ी अजीब लगती है लेकिन भारत में दलित राजनीति करने वाले नेताओं की स्थिति दरअसल कुछ ऐसी ही हो गई है और उसकी बड़ी वाजिब वजहें हैं।