जस्टिस सीकरी ने लंदन में सीएसएटी पोस्टिंग का प्रस्ताव ठुकराकर बहुत अच्छा किया। कोई भी व्यक्ति जो अपने चरित्र पर कीचड़ उछाला जाना बर्दाश्त नहीं कर सकता, वह ऐसा ही करता। उम्मीद है कि आलोक वर्मा मामले में उनपर जो आरोप लगा था कि चार साल की इस पोस्टिंग के लालच में उन्होंने मोदी यानी सरकारी पक्ष का साथ दिया था, वह समाप्त नहीं तो धुँधला अवश्य होगा। हालाँकि कहनेवाले तो अब भी कहेंगे कि चूँकि मामला प्रकाश में आ गया इसलिए जस्टिस सीकरी ने यह प्रस्ताव ठुकराया है वरना वे इसे लपक ही लेते।