क्या हमारे समाज में किसी हिंदू को उसकी जाति से परे रखकर देखना संभव है? बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर जब जात-पांत तोड़क मंडल के सम्मेलन के लिए अपना अध्यक्षीय वक्तव्य तैयार कर रहे थे तभी उन्होंने यह सवाल उठाया था। उनका कहना था कि हिंदू समाज के भीतर रह कर जाति तोड़ना संभव नहीं है। जाति तोड़नी है तो हिंदू धर्म को तोड़ना होगा। इस वक्तव्य से जात-पांत तोड़ो मंडल इतना दुखी हुआ कि उसने आंबेडकर से ही नाता तोड़ लिया, उन्हें अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव वापस ले लिया। बाद में यही वक्तव्य 'जाति का विनाश' नाम से पुस्तक के रूप में छपा।
क्रिकेटर सूर्य कुमार यादव की जाति पर चर्चा क्यों?
- विचार
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- 13 Jan, 2023

सूर्य कुमार यादव इन दिनों क्रिकेट में तूफानी बैटिंग के लिए चर्चा में हैं, लेकिन सुर्खियों उनकी जाति को लेकर भी ख़ूब बन रही हैं। आख़िर ऐसा क्यों है कि उनकी जाति पर बहस हो रही है?
लेकिन यह लेख किस क़दर प्रासंगिक बना हुआ है, यह बात भारतीय समाज के किसी भी हिस्से पर एक नज़र डालते ही समझ में आ जाती है। इन दिनों भारतीय क्रिकेट में सूर्य कुमार यादव का जलवा है। उनकी आतिशी बल्लेबाज़ी, उनका अविश्वसनीय स्ट्रोक प्ले सबकुछ उन्हें महान बल्लेबाज़ों की श्रेणी में खड़ा करता है। वे एबी डीवीलियर्स और सचिन तेंदुलकर की तरह जैसे अपने बल्ले को जादू की छड़ी बना देते हैं और उससे मैदान के हर कोने में स्ट्रोकों की फुलझड़ियां पहुंचती दिखाई पड़ती हैं। वे क्रीज पर गिरते दिखते हैं और गेंद उड़ती हुई सीमा पार के बाहर जाकर गिरती दिखाई पड़ती है।