सरकारी आँकड़े झूठे होते हैं, यह भारत में एक आम धारणा है। इसलिए लोग यही मानते हैं कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर जितने आँकड़े दिए जा रहे हैं वे सच नहीं हो सकते। एक वजह यह भी है कि महामारी के आतंक को लेकर लोगों के अनुभव कुछ अलग क़िस्म के हैं, जिनकी झलक उन्हें इन आँकड़ों में नहीं मिलती।