कोरोना की तीसरी लहर की चिंता हमें छोड़ देनी चाहिए। हो सकता है इसके बाद हमें किसी चौथी और पाँचवीं लहर को लेकर डराया जाए। हमें अब लहऱों और उनके 'पीक' की गिनती नहीं करना चाहिए। ऐसा इसलिए कि मरने वालों के सही आँकड़े बताने में देश और दुनिया को धोखा दिया जा रहा है। हम पर राज करनेवाले लोगों ने हमारा भरोसा और यक़ीन खो दिया है। इतनी तबाही के बाद भी जो भक्त गांधारी मुद्राओं में अपने राजाओं का समर्थन कर रहे हैं उन्हें एक सभ्य देश का 'नागरिक' मानने के बजाय व्यवस्था की 'नगर सेना' मान लिया जाना चाहिए।
उस लहर का 'पीक' कभी नहीं आएगा!
- विचार
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- 20 May, 2021

जिन लहरों से हम अब मुख़ातिब होने वाले हैं उनका 'पीक' कभी भी शायद इसलिए नहीं आएगा कि वह नागरिक को नागरिक के ख़िलाफ़ खड़ा करने वाली साबित हो सकती है। जो नागरिक अभी व्यवस्था के ख़िलाफ़ खड़ा है वही महामारी का संकट ख़त्म हो जाने के बाद अपने आपको उन नागरिकों से लड़ता हुआ पा सकता है जिनके पास खोने के लिए अपने जिस्म के अलावा कुछ नहीं बचा है।
हमें असली चिंता उस लहर की करनी चाहिए जो कोरोना का टीका पूरी जनता को लग जाने और वैज्ञानिक तौर पर महामारी के समाप्त हो जाने की घोषणा के बाद भी हमारे बीच क़ायम रहने वाली है।
ध्यान रखना होगा कि इस सेटेलाइट युग में भी मौतों के सही आँकड़े छुपाने के असफल और संवेदनहीन प्रयासों की तरह ही उस लहर से उत्पन्न होने वाले संताप और मौतों को भी ख़ारिज किया जाएगा, जिसकी कि हम बात करने जा रहे हैं। इस लहर की लाशें नदियों और जलाशयों में शमशानों को तलाशती नहीं मिलेंगी।
ध्यान रखना होगा कि इस सेटेलाइट युग में भी मौतों के सही आँकड़े छुपाने के असफल और संवेदनहीन प्रयासों की तरह ही उस लहर से उत्पन्न होने वाले संताप और मौतों को भी ख़ारिज किया जाएगा, जिसकी कि हम बात करने जा रहे हैं। इस लहर की लाशें नदियों और जलाशयों में शमशानों को तलाशती नहीं मिलेंगी।