भारत की आम जनता के लिए नीतियां बनाने वाले आयोग यानी नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत के एक बयान को लेकर देश में बवाल मचा हुआ है। अमिताभ कांत ने कहा है कि भारत में बहुत ज़्यादा लोकतंत्र है और ऐसे में कठोर सुधारों को लागू कर पाना बेहद मुश्किल है। उन्होंने कहा कि हालांकि सरकार ने हिम्मत दिखाई है और कई सेक्टर्स में इन्हें लागू किया है।
अमिताभ जी, आपको लगता है कि ज़्यादा लोकतंत्र बचा है!
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- 5 Mar, 2021

भारत की आम जनता के लिए नीतियां बनाने वाले आयोग यानी नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत के एक बयान को लेकर देश में बवाल मचा हुआ है।
अमिताभ कांत का ये बयान ऐसे वक़्त में आया है जब मुल़्क के अंदर देश का किसान दिल्ली के बॉर्डर्स पर आकर अपने हक़ की लड़ाई लड़ रहा है। उसे अपने हक़ की लड़ाई लड़ने का ये अधिकार आज़ाद भारत के संविधान ने दिया है। लेकिन जब देश में ऊंचे दर्जे और अहम आयोग के सीईओ भारत में ज़्यादा लोकतंत्र होने की बात कहते हैं तो इसे लेकर देश के हर शख़्स को अपनी राय रखने और सवाल पूछने के लिए आगे आना चाहिए।
देश का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ। पाकिस्तान इसलाम के आधार पर मुल्क़ बना जबकि बाबा साहेब आंबेडकर से लेकर जवाहर लाल नेहरू और संविधान सभा के सदस्यों ने इसे धार्मिक राष्ट्र नहीं बल्कि संवैधानिक राष्ट्र बनाने की बात कही। 1947 में आज़ादी के बाद दो साल तक ‘आइडिया ऑफ़ इंडिया’ पर मंथन होता रहा।