दत्तात्रेय गोत्र और कौल ब्राह्मण जाति में जन्मे राहुल गाँधी! यह इक्कीसवीं सदी के एक बड़े युवा नेता का बायोडेटा है! ये युवा नेता सेकुलरवादियों का आख़िरी चिराग़ है!
अब किसी ज्योतिषी से पूछने की क्या ज़रूरत! यह बायोडेटा ही सारी कुंडली है, सारा पोथी-पत्रा है, ख़ुद बता रहा है कि भारत का भविष्य क्या है!
क्या संघ के ही अजेंडे पर चल रहे हैं राहुल गाँधी?
- राजनीति
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- 29 Nov, 2018

कांग्रेस में पनप गयी विचारशून्यता और शॉर्ट कट संस्कृति का ही यह नतीजा था कि हिन्दू वोट पाने की हड़बड़ी में राजीव गाँधी सरकार ने ख़ुद 1989 में मन्दिर का शिलान्यास कराया। यानी एजेंडा संघ का, काम कांग्रेस ने किया! हालाँकि इससे कांग्रेस को हिन्दू वोटों का कोई लाभ नहीं हुआ। लाभ अगर किसी को हुआ तो वह संघ के हिन्दुत्व के एजेंडे को ही हुआ। संघ को एक नयी स्वीकृति मिली। सरकारी स्वीकृति! आज राहुल गाँधी फिर उसी शॉर्ट कट की तलाश में दिख रहे हैं।
मोहन भागवत ने 2013 में एक डेडलाइन दी थी। वह यह कि अगले 30 बरसों में भारत 'परम वैभव' पा लेगा। 'परम वैभव' यानी हिन्दू राष्ट्र। लगता है कि भागवत की भविष्यवाणी पूरी तरह ग़लत हो जायगी! भारत शायद उससे काफ़ी पहले ही हिन्दू राष्ट्र बन जाय!
बन जाय? या बन चुका है?
बन जाय? या बन चुका है?
क्या आपको नहीं लगता कि सेकुलर शब्द संविधान के अलावा अब पूरे राजनीतिक विमर्श में अछूत बन चुका है? सेकुलरवाद की राजनीति के तम्बू समेटे जा चुके हैं। मुसलमानों की बात अब कोई नहीं करता। हाँ मुसलमानों से बात कर लेते हैं चोरी-छिपे! और जब कमलनाथ के टेप आते हैं, तो मुँह चुराना ही पड़ता है।
राहुल की 'हिन्दू' छवि बनाना संघ की जीत है!
इसलिए योगी आदित्यनाथ ग़लत नहीं कहते कि राहुल का जनेऊ दिखा कर सनातनी हिन्दू दिखाने का प्रयास हमारी (यानी कि संघ परिवार की) वैचारिक विजय है। महज़ वैचारिक ही क्यों, यह आपकी बहुत बड़ी राजनीतिक विजय है योगी जी।
वोटों की लड़ाई में चाहे कोई हारे-जीते, सच यह है कि कांग्रेस राजनीतिक ज़मीन हार चुकी है। उसने मान लिया है कि अपने एजेंडे पर चल कर वह खड़ी भी नहीं रह सकती, भलाई इसी में है कि वह संघ के एजेंडे पर चलना शुरू कर दे।
स्वतंत्र स्तम्भकार. 38 साल से पत्रकारिता में. आठ साल तक (2004-12) टीवी टुडे नेटवर्क के चार चैनलों आज तक